जब तक रोगी की सहायता के लिए चिकित्सक न आ जाए तब तक उसे कृत्रिम श्वास देते रहे तथा हृदय की मालिश बराबर करते रहें।
3.
मुंह से रोगी के मुंह में सांस देने के बाद कम से कम 15 बार हृदय की मालिश करें और उसके बाद नाड़ी की गति की जांच करें और फिर इसके बाद मुंह से रोगी के मुंह में सांस दें।